कहा कि बेअदबी और ड्रग्गज़ के मामलों में जल्द ही इंसाफ़ मिलेगा
एक दूसरे को लाभ पहुँचाने की ख़ातिर गुपचुप रुप से सीट शेयरिंग फ़ार्मूला अपनाने के लिए कैप्टन और बादलों पर बरसे
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह, शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल और भाजपा लीडरशिप पर आगामी विधान सभा चुनाव को देखते हुये सिर्फ़ राजनैतिक फायदे के लिए राज्य के हितों को गुप्त रूप से नुकसान पहुँचाने का दोष लगाया।
आज यहां एक निजी चैनल की तरफ से करवाई मीडिया चर्चा ‘मंच पंजाब ’ के दौरान बातचीत करते हुये मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि यह तीनों ही अतीत और वर्तमान में राज्य के हितों को ठेस पहुँचाने के लिए मिले हुये थे और भविष्य में भी अपने इस राजनीति से प्रेरित एजंडे को जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि हालाँकि इस बार लोगों के सकारात्मक रवैये, जो कि कांग्रेस के अलावा किसी के हक में निर्णायक नहीं, के कारण कांग्रेसी वर्करों में पैदा हुए उत्साह को कोई भी कम नहीं कर सकता। मुख्यमंत्री चन्नी ने आगे कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह के सत्ता से एक तरफ़ होने के बाद अब कांग्रेस पार्टी के अधिकारियों और वर्करों के मूड में बड़ी तबदीली आई है।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और नशे के मुद्दे पर मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि मामले सही राह पर चल रहे हैं और जल्द ही लोगों की संतोषजनक इंसाफ़ होगा। उन्होंने कहा कि चाहे इन दोनों मुद्दों के नतीजे आने में देरी हुई है क्योंकि यह बुरी तरह उलझाए गए थे परन्तु सरकार इनके तर्कपूर्ण अंत की तरफ बढ़ रही है।
विरोधी पक्ष ख़ास तौर पर ‘आप’ की तरफ से किये जा रहे प्रचार पर टिप्पणी करते हुये मुख्यमंत्री चन्नी ने इसके कनवीनर अरविन्दर केजरीवाल और उनके साथी मनीष सिसोदिया और राघव चड्ढा पर बिना किसी बात या कारण के लगातार उनकी सरकार के विरुद्ध भड़ास निकाल रहे हैं। उन्होंने केजरीवाल को सलाह दी कि वह इस तथ्य को भलीभांत जानते हैं कि वह इस राज्य में कभी भी सत्ता में नहीं आऐंगे इसलिए बड़े-बड़े वायदे करके पंजाब के लोगों को अपनी भद्दी चालों से मूर्ख बनाने की बजाय वह दिल्ली में अपनी सरकार पर ज़्यादा ध्यान दें।
विरोधी पक्ष पर निशाना साधते हुए स. चन्नी ने कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य की बागडोर संभालने पर पहले तो अकाली दल, भाजपा और ‘आप’ के नेता उनका मज़ाक उड़ाते हुये कहते थे ‘इस ने क्या करना !’ और अब ज़मीनी स्तर पर उनका प्रदर्शन देखने के उपरांत यह कहने के लिए मजबूर हैं कि ‘इसका करें क्या?’
कैप्टन अमरिन्दर सिंह से आने वाले विधान सभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को होने वाले संभावित नुकसान के बारे एक अन्य सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि जो व्यक्ति अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल के दौरान लोग को कुछ नहीं दे सका और अपने आप को अपने फार्महाऊस में कैद कर लिया, अब कोई भी उसकी नयी पार्टी पर कैसे भरोसा कर सकता है जो अपनी ढीली कारगुज़ारी और लोगों की पहुँच से बाहर रहने के कारण अपनी भरोसे योग्यता खोे चुका है। कैप्टन अमरिन्दर और बादल दोस्ताना मैच खेल रहे और अपने संकुचित हितों की पूर्ति के लिए सत्ता का प्रयोग एक-दूसरे की सुविधा के लिए करते रहे हैं। मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा, ‘यह कथित दुश्मन दोस्त बने हुए हैं, इस बार भी एक दूसरे को राजनैतिक लाभ पहुँचाने के लिए आने वाले विधान सभा चुनाव के दौरान सीटों की व्यवस्था में व्यस्त हुए हैं।’
बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से आगे बढ़ाने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार इस ग़ैर-जिम्मेदाराना फ़ैसले को राज्य के लोगों पर थोपने के लिए आतंकवाद का झूठा सहारा लेने की कोशिश कर रही है, जो पंजाबियों के हित में नहीं और वह इस को काले खेती कानूनों की तरह कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे, जिसको किसान जत्थेबंदियों के भारी विरोध के कारण केंद्र सरकार को कुछ समय पहले रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके इलावा हमारी पुलिस फोर्स अमन-कानून की स्थिति को प्रभावशाली ढंग से संभालने के लिए काफ़ी समर्थ है और यह दशक से चले आ रहे उग्रवाद को ख़त्म करके राज्य में आम स्थिति और शांति बहाल करके पेशेवर तौर पर अपने असीमित क्षमताओं और काबिलीयत का प्रदर्शन कर चुकी है।
प्रदेश कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के कामकाज पर टिप्पणी करने के लिए बोले जाने पर मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि वह सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं जबकि सिद्धू पार्टी प्रधान हैं और दोनों संगठनों में पूरी तरह सामंजस्य है। उन्होंने कहा कि आज इस समागम से तुरंत बाद वह नवजोत सिद्धू की विनती पर उनके हलके में विकास प्रोजेक्टों की शुरूआत करने के लिए अमृतसर जा रहे हैं। मुख्यमंत्री चन्नी ने बिना किसी झिझक के कहा कि वह हमेशा अपनी आलोचना को सकारात्मक ढंग से ही लेते हैं, चाहे यह पार्टी के अंदर से हो रही हो या बाहर से। उन्होंने कहा कि कामकाज के लोकतांत्रिक ढांचे में विचारों का मतभेद अक्सर होता है और हरेक को बिना किसी पक्षपात और गलत भावना के इसका सत्कार करना चाहिए।