गुरचरन सिंह संधू मौजूद संगत को संबोधन करते हुए। |
श्री मुक्तसर साहिब, 21 नवंबर -
समता, समानता, मानवता और भाईचारे के अलंबरदार सत्गुरू रविदास जी महाराज की चेली संत मीरा बाई के जन्म स्थान मेड़ता (राजस्थान) से शुरू हुई एतिहासिक सांझीवालता यात्रा आज स्थानीय श्री गुरू रविदास मंदिर और धर्मशाला में पहुंची। गुरू रविदास मंदिर चक्क हकीमां फगवाड़ा के महंत प्रशोतम दास जी की अगुवाई वाली इस एतिहासिक यात्रा में स्वामी असीमा नंद सरसवती, महंत बाल योगी स्वतंत्ररपाल सिह नामधारी, संत बलवीर सिंह जी और गुरबचन सिंह जी मोखा आदि समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालू शामिल थे। मंदिर पहुंचने पर महंत प्रशोतम दास और अन्य पर फूलों की वर्षा की गई। मौजूद संगत द्वारा महंत और अन्य को सिरोपाओ भेंट करके सम्मानित किया गया। स्टेज सचिव की डयूटी गुरचरन सिंह संधू पूर्व आर.टी.ए. ने बाखूबी निभाई। इस समय संधू ने यात्रा में शामिल महांपुरूषों और सभी संगत का स्वागत किया। अपने संबोधन में महंत प्रशोतम दास ने कहा कि सत्गुरू रविदास जी महाराज ने समता, समानता और भाईचारे पर आधारित जिस समाज की कल्पना की थी, वह समाज केवल उनकी शिक्षाओं पर अमल करके ही सिरजा जा सकता है। हम सभी को सत्गुरू रविदास जी की शिक्षाओं पर अमल करना चाहिए। जानकारी देते हुए प्रसिद्ध समाज सेवक जगदीश राय ढोसीवाल ने बताया है कि मंदिर में पूरी संगत के लिए लंगर का प्रबंध किया हुआ था। मंदिर से रवाना होकर यह सांझीवालता यात्रा स्थानीय नगर कौंसल रोड होती हुई बैंक रोड, रेलवे रोड होती हुई कोटकपूरा के लिए रवाना हो गई। रस्ते में जगह-जगह पर श्रद्धालूओं द्वारा फल और मिठाई के लंगर लगाए हुए थे और कई स्थानों पर फूलों की वर्षा भी की गई।