श्री मुक्तसर साहिब, 26 अक्तूबर - संतान की लंबी आयु और संतान प्राप्ति
के लिए किया जाने वाला अहोई अष्टमी व्रत इस साल 28 अक्टूबर वीरवार को आरहा है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्ठमी तिथि को अहोई अष्टमी व्रत
रखा जाता है। ये व्रत करवा चौथ के चौथे दिन आता है।
इस व्रत में माता
पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। माताएं अपनी संतान की लंबी आयु
की कामना के लिए ये व्रत करती हैं। यह जानकारी सनातन धर्म प्रचारक
प्रसिद्ध विद्वान ब्रहमऋषि पं. पूरन चंद्र जोशी ने गांधी नगर में आयोजित
कार्यक्रम के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि यह व्रत संतान की
सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। कहते हैं कि अहोई अष्टमी का व्रत कठिन
व्रतों में से एक है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। अहोई माता
की विधि-विधान से पूजन करने से संतान को लंबी आयु प्राप्त होती है। इसके
साथ ही संतान की कामना करने वाले दंपति के घर में खुशखबरी आती है।
अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त
इस साल अष्टमी तिथि 28 अक्टूबर की दोपहर 12ः49 मिनट से शुरू होकर
29अक्टूबर की दोपहर 02ः09 मिनट तक रहेगी। इस दिन पूजन मुहूर्त 28 अक्टूबर
को शाम 05ः39 मिनट से शाम 06ः56 मिनट
1. अहोई अष्टमी के दिन भगवान गणेश की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
2. अहोई अष्टमी व्रत तारों को देखकर खोला जाता है। इसके बाद अहोई माता की
पूजा की जाती है।
3. इस दिन कथा सुनते समय हाथ में 7 अनाज लेना शुभ माना जाता है। पूजा के
बाद यह अनाज किसी गाय को खिलाना चाहिए।
4.अहोई अष्टमी की पूजा करते समय साथ में बच्चों को भी बैठाना चाहिए। माता
को भोग लगाने के बाद प्रसाद बच्चों को अवश्य खिलाएं।
दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनाई जाती है। फिर रोली, चावल और दूध से
पूजन किया जाता है। इसके बाद कलश में जल भरकर माताएं अहोई अष्टमी कथा का
श्रवण करती हैं। अहोई माता को पूरी औऱ किसी मिठाई का भी भोग लगाया जाता
है। इसके बाद रात में तारे को अर्घ्य देकर संतान की लंबी उम्र और सुखदायी
जीवन की कामना करने के बाद अन्न ग्रहण करती हैं। इस व्रत में सास या घर
की बुजुर्ग महिला को भी उपहार के तौर पर कपड़े आदि दिए जाते हैं।